यूँ तो मेरे स्कूल मे कई बच्चे पढाई के साथ -साथ और भी अलग -अलग चीजों(डांस ,म्यूजिक ,आर्ट एंड क्राफ्ट ,साइंस का मॉडल मेकिंग वगैरह) मे अपनी तरह का टेलेंट रखते हैं और उन्हें उस चीज मे आगे बढ़ाने मे मैं अपनी ओर से पूरा सहयोग भी करती हूँ. किन्तु आज मैं आपको अपने नन्हें से एक वैज्ञानिक से मिलवाना चाहती हूँ,क्योंकि इस वैज्ञानिक की एक बात स्कूल मे बाकि बच्चों से अलग है.वो ये कि ये दिनभर यहाँ -वहाँ से टूटी -फूटी चीजें(जैसे -जूता का डिब्बा ,यूज की हुई बैटरी, माचिस की खाली डिबिया, बिजली का कटा तार, टूटे हुए खिलौने का कोई खास पार्ट आदि) खोजते चलते हैं और उन टूटी -फूटी चीजों से कोई भी प्रोजेक्ट साइंस का बनाने की कोशिश करते रहते हैं.जब कोई प्रोजेक्ट बनाने मे सफल हो जाते हैं तो मुझे जरुर दिखाते हैं.बहुत ख़ुशी होती है उसको इस तरह से मेहनत करके अविष्कार करते हुए देखकर .किन्तु उस वक़्त मैं सोच और चिंता
मे पड़ जाती हूँ, जब वो होमवर्क पूरा नही करता है और टीचर से डांट सुनता है ,क्योंकि वो पढाई के वक्त भी बैग मे चीजें छुपाकर प्रोजेक्ट ही बनाता रहता है.मित्रों ये मेरे स्कूल के हॉस्टल मे रहता है और आजकल मैं इसके पढाई के पीछे मेहनत कर रही हूँ और इसे बड़ा होकर वैज्ञानिक बनने के लिए मोटिवेट भी कर रही हूँ.आप भी जानिए इस नन्हे वैज्ञानिक नाम अर्पित शर्मा है.सब प्यार से इसे किट्टू बुलाते हैं.ये क्लास थ्री मे पढ़ते हैं. आज सुबह ही ये एक पेरिस्कोप बनायें हैं ,जो इनकी हाथ मे है….